आये देवात्मा रूहों को बचाने के लिए
जब से थामा है दामन तुम्हारा
दिल के उच्च वलवले
धन्य है देवगुरू भगवान्
परम आवश्यक जीवनदायक
भगवन याद आये
लक्ष्य मेरा दिखलाओ
लगियां ने मौजा
सतगुरु मोहे बचावहार
हमारे पूजनीय सत्गुरू
भला चाहना मनुष्य मात्र
मेरी क्या जिम्मेवारी हैं
Lecture 1
Lecture 2
Lecture 3
Lecture 4
Lecture 5
Lecture 6
Lecture 7
Lecture 8
Lecture 9
Lecture 10
Lecture 11
Lecture 12
Lecture 13
Lecture 14
Lecture 15
Lecture 16
Lecture 17
Lecture 18
Lecture 19
Lecture 20
Lecture 21
Lecture 22
तुम्हें मैंने सताया है
देवगुरू दी जे शरण
मैं अपराधी तेरा
मैंने तुमको नहीं पहचाना
आपके पाक चरणों में
खाना दिलां दा लुटिया
गुरु का जन्मस्थान
तारणहार गुरु हमारे
तेरे असरों से बाहर
देव आरती
देवजीवन धारकम
नेचर दा अंश
लोकी आवेंगे देव दरबार
वह सुबह कभी तो आएगी
सिर हमारा झुकाने के काबिल नहीं
बड़े धन्य भाग्य उनके हैं
करूँ बेनती मेरे सत्गुरु
करूँ मैं कामना ऐसी